योग का इतिहास

योग— स्वस्थ जीवन जीने का तरीका –उच्च प्राथमिक स्तर




         मन का विकास करो और संयम करो,                         ‌‌                        उसके बाद जहां इच्छा हो, वहां इसका प्रयोग                                             करो-उससे अति शीघ्र फल प्राप्ति होगी।यह है                                           यथार्थ अति उन्नति का उपाय। एकाग्रता सीखो                                              और जिस ओर इच्छा हो, उसका प्रयोग करो                                                   ऐसा करने पर तुम्हें कुछ होना नहीं पढ़ेगा। जो                                                 समस्त को प्राप्त करता है, वह अंश को भी प्राप्त                                             कर सकता है।                                                                                                  —स्वामी विवेकानंद





 









  

परिचय



संक्षिप्त विवरण




योग स्वस्थ जीवन जीने का एक तरीका है, जिसका उद्भव भारत में हुआ। अभिषेक विश्व भर में विज्ञान की एक सहेली के रूप में स्वीकार कर लिया गया है। पाश्चात्य संस्कृति भी इसे वैज्ञानिक व्यायाम की एक शैली के रूप में स्वीकार कर रही है। यद्यपि योग की उत्पत्ति कैसे हुई, स्पष्ट नहीं है, परंतु लंबे समय से चली आ रही परंपरा है। एक समान जन के लिए योग में यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, क्रिया और ध्यान के अभ्यास है, जो व्यक्ति को शारीरिक रूप से स्वस्थ मानसिक रूप से स्वस्थ, और भावात्मक रूप से संतुलित रखते हैं अतंत: व्यक्ति के अध्यात्मिक विकास के लिए आधार तैयार करता है।   



           विद्यालयी बच्चों के लिए योग आचार्य का उद्देश्य उनकी शारीरिक दक्षता, मानसिक विकास और भावनात्मक स्थिरता पर मुख्य रूप से जोर देना है।



योग क्या है?




‘योग’शब्द संस्कृत भाषा की ‘युज्'धातु से बना है जिसका अर्थ ‘मिलाना' या ‘जोड़ना' होता है। इसे शरीर, मस्तिष्क और आत्मा के संयोजन के रूप में देखा जा सकता है और साहित्य में इसका प्रयोग लक्ष्य के साथ-साथ साधन के रूप में भी किया जाता है। लक्ष्य के रूप में योग उच्चतम स्तर पर ‘व्यक्तित्व के एकीकरण' को दर्शाता है। साधन के रूप में, योग में विभिन्न क्रियाएं और तकनीक के शामिल होती हैं, जो इस प्रकार के विकास की प्राप्ति के लिए काम में लाई जाती है। ये क्रियाएं और तकनीकी यौगिक साहित्य के साधन है और यह मिलकर ‘योग' के रूप में जाने जाते हैं।



योग का महत्व




अच्छा स्वास्थ्य प्रत्येक मनुष्य का अधिकार है। परंतु या अधिकार व्यक्तिगत सामाजिक और पर्यावरणीय कारकों पर निर्भर करता है। मुख्य रूप से पर्यावरण या सामाजिक कार्य को के साथ-साथ हम एक बेहतर रोग प्रतिरक्षा तंत्र और अपनी बेहतर समझ विकसित कर सकते हैं जिससे कि अन्य परिस्थितियों हम पर बहुत अधिक प्रतिकूल प्रभाव ना डाल पाएं और हम अच्छा स्वास्थ्य प्राप्त कर सकें।



     स्वास्थ्य एक सकारात्मक अवधारणा है। सकारात्मक स्वास्थ्य केवल बीमारियों से मुक्त होना ही नहीं है, बल्कि इसमें विशिष्ट कारकों के विरुद्ध प्रतिरोधक क्षमता तथा रोगों के लिए सामान्य प्रतिरक्षा की समुचित मात्रा के विकास के साथ-साथ स्वस्थ होने की ऊर्जावान अनुभूति भी शामिल है। इसके लिए योग एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है क्योंकि इसमें विशाल क्षमता है।



       योग, उपचार के सर्वाधिक शक्तिशाली औषधि रहित  तंत्रों में से एक है। स्वस्थता कि इसकी अपनी एक अवधारणा है जिसे बहुत से लोगों ने वैज्ञानिक रूप से समझा है और प्रस्तुत किया है। योग को अपने शरीर और मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए जीवन शैली के रूप में अपनाया जा सकता है। यदि योग को विद्यालय स्तर पर प्रारंभ कर दिया जाए तो यह अच्छा स्वास्थ्य प्राप्त करने हेतु स्वस्थ आदतें और स्वस्थ जीवन शैली स्थापित करने में मदद करेगा।



      शारीरिक स्तर पर योग बल, सहन-शक्ति क्षमता और उच्च ऊर्जा के विकास में मदद करता है। यह व्यक्ति को मानसिक स्तर पर उन्नत एकाग्रता शांति और संतोष के साथ सशक्त भी बनाता है, जो आंतरिक और बाह्य सामंजस्य प्रदान करता है। इस प्रकार विद्यालय स्तर पर योग का लक्ष्य बच्चों के शारीरिक मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य के लिए एक सकारात्मक और स्वस्थ जीवन शैली को उत्साहित करना है।




योग— इसका इतिहास



भारत में योग का उद्भव हजारों वर्ष पूर्व हुआ।ईसकी उत्पत्ति सुख प्राप्त करने और दुखों से छुटकारा पाने की विश्वव्यापी इच्छा के कारण हुई। यौगिक जनश्रुति के अनुसार, शिव को योग का संस्थापक माना गया है। 2700 ईसा पूर्व पुरानी सिंधु घाटी सभ्यता की बहुत सी मुद्राएं और जीवों के अवशेष संकेत देते हैं कि प्राचीन भारत में योग प्रचलन में था। परंतु योग का व्यवस्थित उल्लेख पतंजलि के योग दर्शन में मिलता है। महर्षि पतंजलि ने योग के अभ्यासों को सुव्यवस्थित किया। पतंजलि के बाद बहुत से योगियों ने इसके विकास में अपना योगदान दिया और इसके परिणामस्वरूप योगा पूरे विश्व में फैल चुका है। इसी क्रम में 11 दिसंबर 2014 को संयुक्त राष्ट्र महासभा (यू.एन. जी. ए,) ने 193 सदस्यों की सहमति से ‘21 जून’ को ‘अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस' के रूप में बनाने का प्रस्ताव पारित किया।



कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Recent post

करेंट अफेयर्स

करंट अफेयर्स हिंदी में 2021 करंट अफेयर्स हिंदी में current affairs Hindi mein 5 August 2021 1. हाल ही में K2 पर चढ़ने वाले सबसे कम उम्र के प...

Papular post