प्राचीन भारत के नोट्स

 प्राचीन भारत के महत्वपूर्ण वंश












हर्यक वंश (544 — 412 ईसा पूर्व)



★हिंदी सार हर्यक वंश के संस्थापक और प्रथम शासक थे। उनके राज्य की राजधानी राजगृह थी।

★उन्होंने वैवाहिक संधियों से अपनी स्थिति को मजबूत बनाया। उनकी तीन पत्नियां थी – कौशल के राजा की बेटी, चेलना(लिच्छवी राजकुमारी) और मद्र देश, (आधुनिक पंजाब) की राजकुमारी।

★बिम्बिसार ने अवनति के राजा प्रद्योत की चिकित्सा के लिए राजवैद्य को उज्जैन भेजा।

★जैन साहित्य में बिंबिसार को श्रेणिक की उपाधि प्रदान की गई है।

★बिंबिसार को दहेज के रूप में एक लाख की आबादी वाला काशी गांव मिला।

★बुद्ध घोष कहता है की बिंबिसार के विशाल साम्राज्य में 800000 ग्राम शामिल थे।

★उसने राजगृह नाम के नए नगर की स्थापना की और उसे अपनी राजधानी बनाया।

 ★बुध से भेंट होने के बाद उसने बौद्ध धर्म को अंगीकार कर लिया।

 ★‘महावेश' की धारणा के अनुसार उसने 52 वर्ष शासन किया इतिहासकारों का अनुमान है कि यह काल 543 ईसा पूर्व से 493 ईसा तक रहा होगा।

★ बिम्बिसार के बाद आजाद शत्रु ने गद्दी संभाली। उसने अपने पिता को मारा और राजगद्दी पर अपना अधिकार किया।

★अजातशत्रु को उपनाम ‘कुणिक' के नाम से जाना जाता है।

 ★वह भगवान महावीर और भगवान बुद्ध का समकालीन था और बौद्ध धर्म को मानने वाला था।

 ★अजातशत्रु के बाद उदयिन ने राजगद्दी संभाली।

 ★उसने पटना में गंगा और सोन के संगम पर एक किला बनवाया।

★उसने राजधानी को राजगृह से पाटलिपुत्र में स्थानांतरित किया।

★उदयिन या उदयभद्र ने 32 वर्ष तक राज्य किया।




शिशुनाग वंश (412 — 344 ईसा पूर्व)



★अंतिम हयक शासक नागदशक को उसके दरबारी शिशुनाग  ने अपदस्थ करके 412 ईसा पूर्व में शिशुनाग वंश की स्थापना की।

★शिशुनाग के बाद उनके पुत्र कालाशोक ने राज्य संभाला।

★द्वितीय बौद्ध परिषद वैशाली में आयोजित की गयी।

★इसका आयोजन 383 ईसा पूर्व में कालाशोक ने किया।

★शिशुनाग वंश के अंतिम शासक नंदीवर्धन थे।

★‘पुराण' और ‘दिव्यावदान' या बताते हैं कि कालाशोक का एक अन्य नाम ‘काकवर्ण' था।

★कालाशोक ने अपनी राजधानी वैशाली से पाटिल पुत्र में स्थापित की।

 ★यदि ‘दीपवंश' और ‘महावंश' पर विश्वास किया जाए तो उसने 28 वर्षों तक शासन किया।

★कालाशोक की मृत्यु के बाद उसके उत्तराधिकारीयों ने 22 वर्ष तक शासन किया।



नंद वंश (कौटिल्य/ विष्णुगुप्त) 



★महापद्मनन्द ने नंद वंश की स्थापना शक्तिशाली साम्राज्य के रूप में की।

 ★नंद वंश के पास एक विशाल सैन्य शक्ति जिसमें 2,00,000 पदार्थ पैदल 20,000 घुड़सवार 2,000 रथ और 3,000 हाथी थे।

 ★नंद वंश के अंतिम शासक धनानंद थे।वे सिकंदर के समकालीन थे।

★सिकंदर ने 326 ईसा पूर्व में धनानंद के शासनकाल के दौरान भारत पर आक्रमण किया।

★महाबोधि वंश में प्रथम नन्द राजा को उग्रसेन बताया गया है। पुराणों के अनुसार उसे महापद्म या महापद्मपति कहां गया है।

★कार्टियस कहता है कि नन्द का पीता नाई था जिसके संबंध कालाशोक की पत्नी से थे।

 ★डायटोरस के अनुसार नाई का पुत्र समझे जाने के कारण नन्द का कही सम्मान नहीं होता था।

★महापद्म नंद के 8 पुत्र थे। उसका अंतिम पुत्र धनानंद सिकंदर के काल का था। ग्रीक लेखकों ने उसे अर्गमीज एवं जैन्र्दमीज  कहां।

 ★धनानंद का पराभाव चंद्रगुप्त मौर्य ने किया।

 ★धनानंद के शासन के मध्य सिकंदर ने 322 ईसा पूर्व में पश्चिम तट पर हमला किया।


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