वैदिक काल के महत्वपूर्ण नोट्स

वैदिक काल के महत्वपूर्ण नोट्स सभी परीक्षाओं के लिए जरूरी है....…













वैदिक काल

★वैदिक काल या वैदिक युग उस काल को निर्देशित करता है     जब भारत में वैदिक संस्कृत के ग्रंथों की रचना की गई थी।

★शाब्दिक रूप में आर्य का अर्थ है– अच्छा या श्रेष्ठ।

★अनुमानतः आर्य मध्य एशिया से प्रवासी के रूप में भारतीय उपमहाद्वीप में विभिन्न चरणों में 2000 से 1500 ईसा पूर्व के दौरान आए।

★अपना प्रभुत्व सिद्ध करने के क्रम में आर्यों ने अपने आपको आर्य कहां और अपने विरोधियों को उन्होंने अनार्य दस्यु और दास कहां।

★ऋग्वेद (1500 से 2000 ईसा पूर्व) में 10 मंडल 1028 सूक्त एवं 10462 ऋचाएं हैं। यह मंत्र विभिन्न देवताओं के सम्मान में गाए जाते थे। और होतृ के द्वारा उच्चरित किए जाते थे।

★गायत्री मंत्र को ऋग्वेद से लिया गया है।

★सिंधु और उसकी सहायक नदियां सप्तसिंधु कही जाती है।

★यजुर्वेद यज्ञीय प्रार्थना का एक ग्रंथ है। यह गद्य और पद्य दोनों में लिखा गया है।

★इस ग्रंथ के मंत्र यज्ञ के अवसर पर गाए जाते हैं।

★सामवेद में 1549 मंत्र संकलित हैं।

★अथर्ववेद जादुई सूत्रों का ग्रंथ है जिसमें उस समय के सम्मेलन का अनुष्ठान का वर्णन है।

★ब्राह्मण: ग्रंथों की रचना वेदों के बाद वेदों के मंत्र की व्याख्या करने के लिए की गई। यह गद्य में लिखे गए और इनके स्वरूप अनुष्ठानिक हैं।




वैदिक सभ्यता की समय सीमा का विभाजन किस प्रकार किया गया है–



रिग वैदिक काल:— (1500 से 1000 ईसा पूर्व )

उत्तर वैदिक काल:—(1000 से 600 ईसा पूर्व)

★पंजाब एवं अफगानिस्तान दो ऐसे क्षेत्र है, जहां आर्य सर्वप्रथम बसे।

★मैक्स मूलर ने यह माना है कि आर्यों का मूल निवास– स्थान मध्य एशिया था।

★आर्यों के द्वारा विकसित की गई सभ्यता को ही वैदिक सभ्यता के नाम से जाना जाता है।

★आर्यों के द्वारा प्रयोग की जाने वाली भाषा संस्कृति थी।

★स्त्रियां भी शिक्षा ग्रहण करते थी। ऋग्वेद में लोपामुद्रा, घोषणा, सिकता, आपला एवं विश्वास जैसे विदुषी स्त्रियों का वर्णन मिलता है।

★वैदिक सभ्यता में बाल विवाह एवं पर्दा प्रथा का प्रचलन नहीं था।

★विधवा स्त्री अपने दिवंगत पति के छोटे भाई अर्थात देवर से विवाह कर सकती थी।

★आर्य सोमरस नामक पदार्थ को पेय पदार्थ के रूप में प्रयोग करते थे। इसका निर्माण वनस्पति से किया जाता था।

★संगीत घुड़दौड़ रथदौड़ एवं द्य़ूतक्रीडा आर्यों के मनोरंजन के प्रमुख साधन माने जाते थे।




आर्य मुख्यतः तीन प्रकार के वस्त्र पहनते थे–



1.  वास 2.अधिवास और 3. उष्णीय। अंदर पहनने वाले कपड़े को नीवि कहा जाता था।

★आर्यों का मुख्य व्यवसाय पशुपालन था। आर्य कृषि भी करते थे।

★आर्यों में सर्वाधिक प्रिय देवता इंद्र थे।

★आर्यों का सर्वाधिक प्रिय पशु घोड़ा था।

★आर्य अग्नि देव की पूजा करते थे। उनका मानना था कि अग्निदेव मनुष्य एवं देवता के बीच मध्यस्थ की भूमिका निर्वाह करते हैं।

‘★सत्यमेव जयते’ मुंडकोपनिषद से लिया गया है। मुंडकोपनिषद अथर्ववेद से ग्रहण किया गया है।

★आर्यों द्वारा खोजी गई धातु लोहा थी, जिसे ‘श्याम अयस’ कहा जाता है।

★गायत्री मंत्र का संबंध ऋग्वेद से है। यह सावितृ नमक देवता को संबोधित मंत्र है।

★वैदिक काल में ‘रामायण' एवं ‘महाभारत' दो महाकाव्यों का सृजन हुआ।

★‘महाभारत’ संसार का सबसे बड़ा महाकाव्य है। इसका पुरातन नाम जयसंहिता है।






वेद और उनके ब्राम्हण

वेद                                     ब्राम्हण





ऋग्वेद — एतेरेय और कौशितिकी या सांख्य

सामवेद — पंचविश ( ताण्ड्य महा ब्राह्मण)

षड्विंश — ब्राम्हण, जैमिनिय ब्राम्हण।

यजुर्वेद — शतपथ (सबसे प्राचीन और सबसे वृहद ब्राम्हण)                     और तैतेरिय

अथर्ववेद — गोपथ (चिकित्सा विज्ञान, सौंन्दर और जादू पर                       एक रचना)

★आरण्यक मुख्यत: साधु - संतों और जंगलों में रहने वाले विद्यार्थियों के लिए लिखे गए।

★गाय को ना मारने जाने वाले पशु की श्रेणी में रखा गया था। वेदों में गाय की हत्या करने के लिए मृत्युदंड या देश निकाले की  व्यवस्था है।

★उपनिषदों  में धार्मिक अनुष्ठान के विपरीत ब्रह्म (ईश्वर) और जीव प्राणी के बीच संबंधों के विषय में चर्चा है।

★उपनिषद दार्शनिक संग्रह है और इन्हें वेदांत कहा गया है। क्योंकि वेदों के बाद इनकी रचना हुई।

★बृहदारण्यक 108 उपनिषदों में सबसे प्राचीन उपनिषद है।

★ऋग्वेद के अनुसार प्रसिद्ध दास- राजन  युद्ध या 10 राजाओं के मध्य का युद्ध सूद,तित्सु परिवार में राजा भारत एवं 10 सुप्रसिद्ध जनजातिया के संघ पुरु, यदु, तुर्वस अनु द्रुह्यु, अलीने, पाकठ  बह्लन, विषनिन के मध्य हुआ।

★परूषिणी नदी के किनारे लड़े गए इस रक्त रंजित और निर्णयात्मक युद्ध में भरत विजई हुए।

★सभा और समिति (लोकप्रिय सभाएं) वैदिक राज्यों की कार्यवाहीयों को नियंत्रित करती थी।

★इन दो सभाओं को प्रजापति की दो पुत्रियां कहा गया।






 आर्यों की प्रशासनिक इकाई क्रमशः पांच भागों में बटी थी—



1. कुल – परिवार   2. ग्राम – गांव     3. विश – गोत्र          4. जन – लोग       5. राष्ट्र – देश

★वैदिक आर्य प्रकृति की शक्तियों की पूजा करते थे, जैसे– पृथ्वी, अग्नि, हवा (वायु), वर्षा (मेघ) और बिजली (वज्र)। उनका मुख्य पेशा पशु-पालन था।

★राजा जनजातियों की सुरक्षा के लिए उत्तरदाई था।

★युद्ध में कबीले का नेतृत्व राजा करता था।

★वेदांग की रचना उत्तर वैदिक काल के दौरान हुई। शिक्षा, कल्प, व्याकरण, निरुक्त, छंद और ज्योतिष 6 वेदांग है।

शिक्षा         —      स्वर विज्ञान।                                        कल्प          —        अनुष्ठान।                                         व्याकरण     —          व्याकरण।                                     निरुक्त        —         शब्द शास्त्र।                                     छंद            —            छंद।                                             ज्योतिष       —             ज्योतिष।                                 





       

उपवेदों की रचना वेदांगो के बाद हुई।



4 उपवेद है —                                                                    उपवेद                                  संबंधित वेद                  आयुर्वेद (औषधि)    ‌‌   ‌ —         ऋग्वेद।                            धनुर्वेद (तीरंदाजी)     ‌‌   —         याजुर्वेद।                          गंधर्ववेद (संगीत)          —          सामवेद।                          शिल्पवेद (शिल्प)          —          अथर्ववेद।           

★पुराण का अर्थ है ‘पुराना’ और इनकी संख्या 18 है।

★‘अष्टाध्यायी’ पाणिनि के द्वारा लिखी गई पूरे विश्व की पहली व्याकरण की पुस्तक है।

★‘रामायण’ और ‘महाभारत’ दो भारती महाकाव्य हैं ।

★दर्शन, वेदों के सहायक निबंध है। भारतीय दर्शन की 6 शाखाएं हैं जिन्हें षड्दर्शन कहा जाता है।






षड़दर्शन                                                                                  न्याय दर्शन           —            अक्षपाद गौतम।                     वैशेषिक           —              महर्षि कणाद।                     सांख्य दर्शन          —               कपिल मुनि।                       योग दर्शन           —          पतंजलि।                               पूर्वमीमांस            —               जैमिनी                              उत्तर मीमांसा       —            बदरायण ऋषि

★शाब्दिक रूप से स्मृति का अर्थ होता है स्मरण। सभी स्मृतियों की रचना गुप्त काल के दौरान हुई।


ऋग्वैदिककालीन देवता एवं उनका संबंध                             देवता                                      संबंध          



पूषण             —            जानवरों के देवता                       अग्नि             —        देवता एवं मनुष्य के बीच मध्यस्थ      उषा               —        प्रगति एवं उत्थान के देवता            वरुण             —        विश्व के नियमक एवं शासक।         मरुत             —       आंधी– तूफान के देवता।         ‌‌‌     धरयौ            —        आकाश के देवता (सबसे प्राचीन)।      ‌ इंद्र               —        युद्ध एवं वर्षा के देवता।     ‌‌‌                सोम              —        वनस्पति के देवता।          ‌‌‌            अश्विन          —        विपत्तियों को दूर करने वाले देवता।      विष्णु            —         विश्व के पालन करता है।  






प्राचीन नदियां और उनके आधुनिक नाम—          



    वितस्ता                          झेलम                                       अस्किनी                        चिनाव।                                     परुष्णी।                         रावी।               ‌‌                        विपाशा                           व्यास।                                      सतद्रु                              सतजल।         ‌‌‌                          गोमती                            गोमल।    ‌।                                कुभा                             काबुल।                                    सदानीरा                         गंडक।                                      सरस्वती                    ‌‌     घ‌ग्गर




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