उत्तर वैदिक काल के महत्वपूर्ण नोट्स सभी परीक्षाओं के लिए, Uttar vaidik Kal ke mahatvpurn notes sabhi parikshaon ke liye..
उत्तर वैदिक काल (1000–600 ईसा पूर्व)
★उत्तर वैदिक काल में समाज चार वर्णों में विभाजित हो गया। ये वर्ण ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शुद्र कहलाए।
★सभी तीन उच्च वर्ण एक जैसे रंग- रूप वाले थे, वे द्विज (पुन: र्जन्म) के रूप में जाने जाते थे।
★चौथा वर्ण पवित्र धागे (जनेऊ) के समारोह से वंचित था और इस कारणवश शूद्रों के ऊपर अयोग्यता का आरोपण शुरू हो गया।
★शूद्रों के लिए समाज में बुरी स्थिति कायम हो गई। वे दूसरों के नौकर कहे जाने लगे।
★उत्तर वैदिक काल में राजा की राज्याभिषेक के समय ‘राजसूय यज्ञ' यज्ञ नामक अनुष्ठान होता था।
★साधारणत: स्त्रियों को निम्न स्थिति प्रदान की गई।
★उत्तर वैदिक काल का सांख्य दर्शन भारत के सभी दर्शनों में सबसे प्राचीन है। इसके अनुसार मूल तत्व 25 है जिनमें प्रकृति प्रथम तत्व है।
★उत्तर वैदिक काल में आश्रम या जीवन के चार चरणों की रचना की गई। (1) ब्रम्हचर्य या विद्यार्थी जीवन, (2) गृहस्थ या घर का स्वामी, (3) वानप्रस्थ या आंशिक सेवानिवृत्त, (4) संन्यास या पूर्ण रूप से संसार के कर्मों से निवृत्त,
★उत्तर वैदिक काल में वर्ण, व्यक्ति के कार्य या व्यवसाय के बजाय जन्म के आधार पर निर्धारित होने लगे।
ऋग्वेद की रचना के संदर्भ में विभिन्न मत—
मैक्समूलर — 1200 1800। बाल गंगाधर तिलक — 600 ईसा पूर्व। जैकोवी — 300 ईसा पूर्व। विंटरनित्ज — 2500 ईसा पूर्व
शतपथ ब्राह्मण में 12 रत्निज—
(1) युवराज (2) पालागल – राजा का मित्र एवं विदूषक का पूर्वज (3) सूत – सारथी (4) छत्र – पतिहारी (5) राजा (6) भाग दूध – कर संग्रह करने वाला (7) सेनानी – सेनापति (8) महिषी – पटरानी (9) ग्रामीण – लड़ने वाले दल का नेता (10) पुरोहित – मंत्री (11) संग्रहीता – कोषाध्यक्ष (12) अक्षावाप – पासे के खेल में राजा का सहयोग करने वाला
विवाह के विभिन्न प्रकार—
असुर— कन्या को खरीद कर किया गया विवाह।
गंधर्व— दो पक्षों की स्वीकृति से और प्राय: गुप्त रूप से किया गया विवाह गंधर्व विवाह है। गंधर्व विवाह का विशेष उदाहरण स्वयंवर या स्वेच्छा से चयनित पात्र से विवाह है।
ब्रह्म— कन्या पक्ष के द्वारा उपयुक्त दहेज देकर कन्या के उसी वर्ण के पुरुष के साथ वैदिक संस्कार और अनुष्ठान के साथ किया गया विवाह।
दैव— पिता अपनी पुत्री को यज्ञीय पुरोहितों को शुल्क या दक्षिणा के रूप में दे तो ऐसे विवाह को दैव विवाह करते हैं।
अर्श— वधू की कीमत के रूप में एक गाय या एक बैल दिया जाता है।
प्रजापति— दहेज या वधू की कीमत लिए बिना किया गया विवाह।
पैशाच— यदि एक लड़की का सतीत्व हरण उस समय किया गया हो जब वह निद्रा में हो या मानसिक रूप से विक्षिप्त हो या नशे में हो।
राक्षस— कन्या (लड़की) से विवाह उसे पकड़कर या कैद में रखकर करना।
★उत्तर वैदिक काल में प्रजापति (ब्रह्मा) को सर्वोच्च स्थान प्राप्त था।
★गोत्र नामक संस्था उत्तरवैदिक काल से प्रचलन में आयी।
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