सिंधु घाटी सभ्यता
★भारत का प्राचीनतम नगर मोहनजोदड़ो था। मोहनजोदड़ो का सिंधी भाषा में अर्थ है— मृतकों का टीला।
सिंधु कॉल में विदेशों के साथ व्यापार–
आयातित वस्तुओं का नाम क्षेत्र
1.शीशा ईरान
2.तांबा बलूचिस्तान, खेतड़ी,ओमान
3.लाजवर्द मेसोपोटामिया
4.सोना अफगानिस्तान, ईरान एवं कर्नाटक
5.गोमेद सौराष्ट्र
6.चांदी ईरान, अफगानिस्तान
★सिंधु घाटी सभ्यता की सर्वमान्य तिथि 2400 ईसा पूर्व से 17 ईसा पूर्व मानी जाती है।
★सिंधु सभ्यता की खोज का श्रेय रायबहादुर दयाराम साहनी को प्रदान किया जाता है।
★सिंधु सभ्यता के दो प्रमुख बंदरगाह थे। उनके नाम है– लोथल एवं सुतकोतदा।
★सिंधु सभ्यता की सबसे बड़ी इमारत संभवत मोहनजोदड़ो में पाई गई अन्नागार है।
★सिंधु सभ्यता के लोग प्रमुखता गेहूं एवं जौ की खेती करते थे। रंगपुर एवं लोथल से चावल के दाने मिले हैं जिससे धान की खेती होने का प्रमाण मिलता है।
★सिंधु सभ्यता के लोग पृथ्वी की पूजा किया करते थे। वह पृथ्वी को उर्वरता की देवी मानते थे।
★सिंधु सभ्यता के लोग मातृ देवी की सर्वाधिक पूजा किया करते थे।
★सिंधु घाटी सभ्यता के लोग सूती एवं ऊनी वस्तुओं का प्रयोग किया करते थे।
★सिंधु घाटी सभ्यता के विनाश का कारण संभवत: बाढ़ थी।
★सिंधु घाटी सभ्यता एक अनोखी कांस्य युगीन सभ्यता थी और पूरे विश्व की नगरी सभ्यताओं में से एक प्राचीनतम सभ्यता थी।
★यह सभ्यता सिंधु नदी की घाटियों और इसकी सहायक नदियों(धाराओ) के आसपास पल्लवित हुई जो आधुनिक पाकिस्तान और उत्तर पश्चिमी भारत में स्थित है।
★सिंधु सभ्यता की लिपि चित्रात्मक है। यह लिपि दाएं से बाएं लिखी जाती थी। एक से ज्यादा पंक्तियों का अभिलेख होने पर प्रथम पंक्ति दाएं से बाएं तथा दूसरी बाएं से दाएं और लिखी जाती थी।
★मुख्य सड़कें जरूरत के अनुसार उत्तर से दक्षिण तक 9 फीट से लेकर 34 फीट तक चौड़ी होती थी। विशेष रूप से मोहनजोदड़ो की सड़कों की चौड़ाई 10.5 फीट तक थी। हड़प्पा की सड़कों की चौड़ाई 30 फीट तक थी।
★सैंधव सभ्यता के लोग यातायात हेतु दो एवं चार पहियों वाली बैलगाड़ी यह भैंस गाड़ी का प्रयोग करते थे।
★घर प्राय: 2 मंजिले, बड़े और सड़कों के किनारे कतारों में बने होते थे। घरों में नालियों की सुंदर व्यवस्था थी। ये नालियां ईंटों से बनी पाइप के द्वारा गंदे पानी को घर से बाहर निकालने में सहायक थी।
★हड़प्पा कालीन सभ्यता के नगरों में लोथल बालाकोट, सुतकागेंडोर और अल्हादी(पाकिस्तान) आदि स्थलों पर बड़े बंदरगाह थे।
★पालतू पशुओं के अंतर्गत कुत्ते, बिल्लियां, कूबड़ वाले पशु(सांड), समुद्री जानवर, मुर्गियां और संभवतः सुअर ऊंट और भैंस आदि थे। संभवतः हाथी भी पालतू पशु थे क्योंकि इनकी हड्डियों और बाह्य दातों का प्रयोग प्रचुर मात्रा में किया जाता था।
★सेंधववासी मीठे के तौर पर शहद का प्रयोग करते थे।
★समाज में स्त्रियों को उचित सम्मान प्राप्त था। परिवार माता के नाम से चलते थे।
★सैंधव सभ्यता में चार विभिन्न वर्ग थे। समाज इन में विभाजित था— विद्वान, योद्धा, व्यापारी और मजदूर।
★सिंधु घाटी के लोग सच्चाई पर आधारित कृषि करते थे।
★सैंधव सभ्यता के लोग मनोरंजन हेतु मछली पकड़ने, शिकार करने, पशु– पक्षियों के आपस में लड़ाने तथा चौपड़– पासा खेलने आदि साधनों का प्रयोग करते थे।
★हड़प्पा के लोग हिंदू धर्म को मानने वाले थे। वे मातृदेवी, पशुपति शिव, पवित्र जानवर और वृक्षों आदि की पूजा करते थे।
★सैंधव सभ्यता में शवों को जलाने एवं गाड़ने की, दोनों प्रथाएं प्रचलित थी।
★मोहनजोदड़ो में एक भव्य स्नानागार था जिसका प्रयोग सामान्य जनता के द्वारा स्नान के लिए किया जाता था। यह 11.88 मीटर लंबा, 7.01 मीटर चौड़ा एवं 2.43 मीटर गहरा है।
सिंधु घाटी सभ्यता के प्रमुख स्थल एवं सन और उत्खनन कर्ता–
1.हड़प्पा के उत्खनन कर्ता थे– दयाराम साहनी 1921
2.मोहनजोदड़ो के उत्खनन कर्ता थे– आर डी बनर्जी 1922
3.सुतकागेंडोर के उत्खनन कर्ता थे– औरेल स्टैन जार्ज 1927
4.चन्हूदडों के उत्खनन कर्ता थे– वायरस 1931, एसआर राव 1953
5.कोटदीजी के उत्खनन करते थे– फजल अहमद 1953
6.दवरकोट के उत्खनन कर्ता थे– मैच्की 1935
7.किलीगुल मोहम्मद के उत्खनन कर्ता थे– फैरसेरमिस 1950
8.कालीबंगन के उत्खनन करते थे– ए घोष 1953
9.रोपड़ के उत्खनन करते थे– वाइ डी शर्मा 1953
10.सुरकोटड़ा के उत्खनन कर्ता थे– जगतपति घोष 1964
11.धौलावीरा के उत्खनन कर्ता थे– आर एस विष्ट 1990- 91
12.आलमगीरपुर के उत्खनन करते थे– वाई डी शर्मा 1958
प्रमुख स्थल और वर्तमान क्षेत्र (स्थिति)–
1.मोहनजोदड़ो का प्रमुख स्थल था– सिंध (पाकिस्तान)
2.हड़प्पा का प्रमुख स्थल– पंजाब प्रांत (पाकिस्तान)
3.धौलावीरा का प्रमुख स्थल– कच्छ का रन (गुजरात)
4.लोथल का प्रमुख स्थल– खम्बात की खाड़ी (गुजरात)
5.राखीगढ़ी का प्रमुख स्थल– हरियाणा
6.गनवरी वाला का प्रमुख स्थल– पंजाब (पाकिस्तान)
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